मैं और हैंडसम यमदूत … #हास्य

सुबह के अलार्म के साथ ही आंख खुली। उठते ही सबसे पहले अपने मनमोहना यानि कान्हा जी को प्रणाम किया और फिर रोज़मर्रा के कामो में लग गयी।

थोड़ी ही देर में घर के सभी लोग भी उठ कर ड्राइंग रूम में आ पहुंचे।

मैंने सबके लिए चाय और नाश्ता रेडी किया और अब पूरा परिवार टीवी पर नज़रे गड़ाए इंतज़ार कर रहा था महाभारत सीरियल का, जो डी डी नेशनल पर हर रविवार 11 बजे प्रसारित होता था।

मुझे भी महाभारत देखना बहुत पसंद था इसलिए घर के कुछ काम पहले ही निपटा कर मैं भी सबके साथ तसल्ली से एक घंटा महाभारत देखा करती थी।

आज महाभारत में कृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे। महाभारत में कृष्ण का किरदार निभा रहे नितीश भारद्वाज ने यह किरदार इतने बेहतरीन अंदाज़ में निभाया है, की कभी आंखें बंद कर श्री कृष्ण का नाम भी लो तो उनकी ही छवि सामने आती है। ठीक वैसे ही जैसे हनुमान जी का नाम लेते ही रामायण में हनुमान का किरदार निभाने वाले दारा सिंह जी का।

खैर महाभारत खत्म हुआ। सभी लोग अपने अपने कामों में लग गए और मैं भी नाहा धो कर अपने पूजा घर में जोत बत्ती करने आ गयी।

भगवान पर चढ़ाये फूल और धुप बत्ती की खुशबू जैसे मन को शांति और सुकून दे रही थी।अपने पूजा घर के मंदिर में बैठे श्री कृष्ण की मूरत पर नज़र पड़ी तो महाभारत के श्री कृष्ण याद आ गए।

मन में जैसे एक आस सी जागी, की कान्हा अपने दर्शन कब करवाओगे। काश तुम्हे एक नज़र देख पाती।

उस पल ऐसा लगा मानो श्री कृष्ण की वो मूरत मुझे देख कर मंद मंद मुस्कुरा कर तथास्तु कह रही हो।

कुछ ही देर मे जैसे मेरे आस पास धुआ सा फ़ैल गया, मैं डर गयी और आंखों के सामने एक छवि सी उभर कर सामने आ गयी और एक हष्ट पुष्ट नौजवान मेरे पूजा घर के सामने खड़ा हो गया।

मैं डर गयी, सुना था की मौत के अंतिम छड़ों में यमदूत लेने आते है। पर वो नौजवान देखने में बड़ा ही सुन्दर और हैंडसम लग रहा था। आप सोच लीजिये जैसे आपके सामने साक्षात् ह्रितिक रोशन खड़ा हो।

वैसा ही कद , वो भुरी आँखें, वैसे ही सिक्स पैक एब्स, स्मार्ट सी डेनिम शर्ट, जीन्स और स्नीकर्स पहने वो मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था।

मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी।

अब ह्रितिक जैसे हैंडसम डूड के सामने हाथ जोड़ कर नमस्ते थोड़ा अटपटा सा लग रहा था तो मैंने हाथ हिला कर हाय! ही कर दिया।

और पुछा :

आप श्री कृष्ण है ???

ह्रितिक ने मेरा मतलब है उस आदमी ने हसते हुए कहा “नहीं…मैं दूत हूँ ! ”

“दूत “…. मतलब यमदूत….  मैंने आँखों की भोयें ऊपर चढ़ाते हुए हैरानी से पुछा ।

अब ये सुन कर तो जैसे मेरे हाथ पांव ठन्डे पड़ने लगे।

क्या ??? इसका मतलब मैं मर गयी हूँ?? अभी तो मुझे और जीना था ???  अभी तो पेरिस का एफ्फेल टावर भी घूमना था ???

नह ह ह ह ही  …………. ये क्या हो गया ….!!! अपने दोनों कानो पर हाथ लगाए मैं ऐसे फ़िल्मी अंदाज़ में चिल्ला रही थी मानो जैसे मेरे मैं बॉलीवुड की निरुपा रॉय की आत्मा आ गयी हो।

उसने मुझे दिलासा देते हुए कहा :

आप रोइये नहीं ..आप मरी नहीं हो .. आप ज़िंदा हो !!

और मैं यमदूत नहीं बस दूत हूँ । श्री कृष्ण का दूत।

“o wow !!!  श्री कृष्ण के दूत” !! हैरान होकर मैंने पुछा।

हाँ , जब भी कोई मनुष्य सच्चे दिल से प्रभु भक्ति करता है और कुछ मांगता है तो प्रभु को अपने उस भक्त की इक्छा पूरी करनी ही पड़ती है । तुमने आज उन्हें देखने की इक्छा जताई थी, तो चलो, आज भगवन ने तुम्हे स्वयं भुलाया है।

पता नहीं क्यों इन सब बातों पर मुझे यकीं नहीं हो रहा था तो मैंने उस नौजवान दूत से पूछ डाला :

“मैं कैसे यकीं कर लू की तुम दूत हो। दूत जीन्स टीशर्ट नहीं, मुकुट और धोती पहनते है।”

तभी ह्रितिक जैसे देख रहे उस हैंडसम ने अपने हाथो की उंगलिया घुमाई और एक सुन्दर सा फूलों का गुलदस्ता उड़ता हुआ मेरे पास आ गया।

Oh My God !!! आप सच बोल रहे हो.. मैं आज भगवान के दर्शन करुँगी ??

पर ????

अब क्या ??? दूत ने पुछा ।

ज़रा मेरी ड्रेस देखो!! मैं इस घर के लोअर टीशर्ट में मिलने नहीं जाउंगी ??

अच्छा ज़रा ढहरो !! दूत हस्ता हुआ बोला।

उसने हाथो की उंगलिया घुमाई और मेरा रूप ही बदल गया।

Cinderella जैसा सुन्दर गाउन और खुले बालों में अब मैं सुन्दर सी लग रही थी।

पर हम जाएंगे कैसे ??  कैब, मेट्रो… कोरोना टाइम में तो बॉर्डर भी सील है …

जब तक मैं अपनी बात पूरी करती तब तक ह्रितिक.. मेरा मतलब है दूत ने मेरा हाथ पकड़ा और हम उड़ने लगे।

WOW !!!

आप इमेजिन भी नहीं कर सकते की ह्रितिक का हाथ पकडे Cinderella ड्रेस में, मैं हवा में उड़ते कैसा फील कर रही थी।

हवा में उड़ते हुए हमने धरती चाँद सूरज सब पार कर लिए थे। थोड़ा और ऊपर जाने पर चारो तरह धुँआ था , जैसे ही धुँआ छटा एक बड़ा सा दरवाजा खुला।

दूत ने बताया की ये यमलोक है। वह बहुत से लोग लम्बी लम्बी लाइन में लगे थे।

मेरे पूछने पर दूत ने बताया की मरने के बाद हर मनुष्य यहाँ आता है और उसके अच्छे और बुरे कर्मो के हिसाब से उसे स्वर्ग या नरक में  भेजा जाता है।

मैंने भी झट से एक छोटी बच्ची की तरह जिद करते हुए कहा :

“आप मुझे स्वर्ग दिखाएंगे.. मैं देखना चाहती हूँ स्वर्ग में क्या क्या होता है।”

“हाँ जरूर.. चलो” !!! दूत ने बोला।

हम तेजी से वहाँ से दूसरी ओर उड़ चले।

आगे चले तो एक और बड़ा सा गेट खुला। मुझे लगा सुन्दर सुन्दर अप्सराओं का नृत्य संगीत हो रहा होगा।

पर वहाँ का नज़ारा तो कुछ और ही था। वह एक बहुत बड़ा शॉपिंग माल था जहाँ बहुत सी औरतें शॉपिंग कर रहीं थी।

मैंने हैरान होकर पुछा… “ये स्वर्ग है “???

दूत हस्ते हुए बोला “हाँ देवी !”

पर यहाँ तो कोई अप्सरा नहीं है और कोई डांस भी नहीं हो रहा।

दूत बोला : क्या आपको अप्सराओं का डांस देख कर परम आनंद की प्रप्ति होगी ? नहीं !

एक औरत को परम आनंद की प्राप्ति सिर्फ शॉपिंग करके ही आ सकती है और वो भी फ्री में।

क्या फ्री में ? कुछ भी खरीदो फ्री?

हाँ देवी ! दूत बोला

आप सोचिये एक बड़ा सा माल जहाँ loius vuitton, zara, globus, chambor, maybelline जैसी कई शॉप्स हो वहां पर शॉपिंग फ्री।

सच, इसे ही कहते है स्वर्ग का सुख।

“चलिए देवी हमें देर हो रहीं है।” दूत बोला

आप प्लीज मुझे देवी मत बोलिये…  it sounds too old fashioned .. u can call me Cinderella…  तभी अपने पति का खोफ्फ़ मुझे वहाँ भी हुआ..

गाला साफ करते हुए मैंने कहा … ahem ..I mean you can call me Rama.

अब हम विष्णु नगरी की ओर बढ़ चले थे।

वहाँ का द्र्श्य मन मोह लेने वाला था।

चारों तरफ शांति और सुकून था वहां।

 

“अच्छा रमा अब मैं चलता हूँ .. यहाँ से आगे तुम्हे अकेले ही जाना है”। ये कह कर दूत वहाँ से अदृश्य हो गया।

मैं आगे बढ़ती गयी, वहाँ का दृश्य मन मोह लेने वाला था,  झरने, उड़ते बादल, और शांत ठंडी हवा…रास्ते में सुन्दर सुन्दर फल, फूल और तितलियाँ भी थी।

थोड़ी दूर पहुंच कर मैं रुक गयी।

तभी एक सफ़ेद रौशनी सी दिखाई पड़ी, वो रौशनी चारो दिशाओं को जैसे और भी जगमगा रहीं थी। और तभी एक आवाज सुनाई दी :

आओ रमा !!

मैंने अपने हाथ जोड़ लिए और घुटनो के बल बैठ गयी। मेरा मन अब समझ चुका था की ये मेरे श्री कृष्ण ही थे।

आप दिखाई नहीं दे रहे भगवान !! मैंने पुछा ।

भगवान मुस्कुराते हुए बोले : मैं निराकार हूँ । मेरा कोई रूप नहीं है।

अगर मैं तुम्हे किसी रूप में दिखूंगा तो तुम मुझे किसी धर्म से जोड़ दोगी, जैसा धरती पर मनुष्य करता आया है। ईश्वर, अल्लाह, वाहे गुरु, जीजस, पर भला भगवान का भी कोई धर्म होता है।

मैं चुप खड़ी सब सुन और समझ रही थी।

 

भगवान् बोले :आज तुमने सच्चे दिल से हमसे मिलने की आस की थी इसलिए हमने तुम्हे बुलवाया है, मांगो क्या वर चाहिए।

थोड़ा सोचते हुए मैंने कहा …हे भगवान आपका दिया सब कुछ है मेरे पास। मुझे किसी चीज़ की कमी नहीं।पर फिर भी मैं चाहती हूँ की जैसे मैंने आपके दर्शन किये वैसे ही धरती पर हर मनुष्य आपके दर्शन पाए।

चुकी मैं खुद सात साल संतान सुख से वंचित थी, और जब संतान सुख मिला तब ये जाना की एक नन्हे बच्चे की मासूमियत में भगवान साक्षात दिखाई देते है।इसलिए मैं चाहती हूँ की आप हर एक स्त्री को माँ बनने का सुख दें। जिससे धरती पर हर एक मनुष्य अपने बच्चे मे आपके बाल रूप के दर्शन कर पाए।

तुम्हारा कल्याण हो!!

और भगवान ने तथास्तु कह, मुझे मेरा वरदान दिया।

और मेरी आंखें खुल गयी।

मैं कान्हा की मुरत के सामने अपने पूजा घर में ही बैठी थी, घर में वैसी ही हलचल थी।

पीछे से पति देव बोले आज पूजा बड़ी लम्बी हो गयी, दोपहर का खाना कब बनेगा। और मैं मन ही मन मुस्कुराने लगी आज साक्षात् भगवान के दर्शन जो किये थे।

अगर आपको मेरा यह ब्लॉग पसंद आया हो तो मुझे कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं ।

धन्यवाद !

 

Disclaimer: This blog was originally posted on Momspresso.com. This is a personal blog. Any views or opinions represented in this blog are personal and belong solely to the blog owner.

 

About The Author

Rama Dubey

I am a Communication Professional with more than 13 years of rich experience in Public relations, Media management, Marketing and Brand promotion.  Currently working as a Head- communication for an IT firm.

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

Related Blogs