कल तक घर की बहु थी, अब हूँ जेठानी

बात उन दिनों की है जब मेरी शादी को अभी हफ्ता दस दिन ही बीते थे कि रात को करीब दो ढाई बजे कहीं से गाने की आवाज आयी “तू जो नहीं है तो, कुछ भी नहीं है, ये माना की महफ़िल जवां है हसीं है”।

अचानक मेरी आंख खुली, मारे डर के मेरी तो सांसें रुकी जा रही थीं। जल्दी से इनको उठाया “सुनिए, उठिये, ये कैसी आवाजें आ रही हैं? ज़रा ध्यान से सुनो तो?”

तसल्ली से करवट बदलते हुए ये बोले- “सो जाओ, बाहर विकास अपनी गर्लफ्रेंड से बात कर रहा है, मम्मी पापा के कमरे तक बातचीत की आवाज ना जाये इसलिए पीछे से सॉन्ग चला देता है”।

मैंने मन में सोचा, “वाह!! क्या आईडिया है!”

विकास मेरा देवर है और उस दिन मुझे पता चला कि विकास अपनी गर्लफ्रेंड प्रिया के साथ आठ साल से लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में था। अब चूँकि मेरे ससुर जी थोड़ा पुराने ख़यालात के थे, तो विकास प्रिया के लिए आगे शादी तक का सफर मुश्किल होने वाला था। यहाँ विकास ने भी एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था कि उनके रिश्ते को परिवार की रज़ामंदी मिल जाये।विकास घर का सबसे छोटा और लाडला बेटा था, तो उसका दिल भला कोई कैसे तोड़ सकता था, थोड़ा ना नुकुर कर के आखिरकार ससुर जी को हामी भरनी पड़ी।

 

बस फिर क्या था, हम सब लोग हंसी ख़ुशी से परिवार की पहली “लव मैरिज” की तैयारियों में लग गए।

अब तो मैं मारे ख़ुशी के वो “हम आपके हैं कौन” का देवर भाभी सॉन्ग है ना…  “लो चली मैं, अपने देवर की बारात ले के ” पर दिन में कम से कम पचासों बार डांस करती।

एक दिन अपनी फ्रेंड से बात करते करते मैंने उसे विकास प्रिया की शादी की बात बताई, मेरी ख़ुशी देख कर वो बोली ” ज़्यादा खुश मत हो देवरानी आ रही है तेरी, अब जेठानी बनने वाली है तू.. ज़रा अकड़ में रहा कर”..

बस फिर क्या था जनाब.. उसी दिन से मेरी गर्दन अकड़ गयी…

अब मुझे सच में डर लगने लगा था की पता नहीं नयी देवरानी आने के बाद परिवार में क्या क्या बदलेगा और हम सब उसके साथ एडजस्ट कर भी पाएंगे की नहीं। और वैसे भी देवरानी -जेठानी के झगडे तो जग ज़ाहिर है।

अगले दिन ससुर जी ने शादी से पहले घर में पुताई करवाने का सोचा। कलर का शेड कार्ड ले कर अभी मैं दीवारों के लिए रंग छाँट ही रही थी की पीछे से ससुर जी बोले  “प्रिया को फोन करके पूछ लो कौन सा कलर करवाएं”।

ये सुन कर कार्ड के पर्पल शेड पर रखी मेरी ऊँगली रखी की रखी रह गयीं। दिल टूट गया था मेरा। अब मैं समझ सकती थी की घर में दूसरा भाई बहन आने पर पहले बच्चे को कैसा महसूस होता होगा। आज मैं भी ठीक वैसा ही महसूस कर रही थी, आखिर मेरे घर भी तो एक नया “बेबी ” यानि मेरी देवरानी आने वाली थी।

 

खैर शादी का दिन आया , बारात निकलने को तैयार थी। और जैसे हर देवर की शादी में भाभियाँ सातवे आसमान पर होती हैं ठीक वैसे ही आज ख़ुशी से मेरे भी पैर जमीं पर नहीं थे। बारात के वेन्यू पर पहुंचने तक मैंने सबके साथ जो हड्डी तोड़ डांस किया की अगले एक हफ्ते तक हड्डियों की गड़गड़ाहट महसूस होती रही। आज दूल्हा बना मेरा देवर भी रणवीर सिंह से कम नहीं लग रहा था। मुझे पूरा यकीं था की खूबसूरती में दुल्हन दूर दूर तक मेरे देवर को टक्कर नहीं दे पायेगी।

पर जब जयमाल के लिए प्रिया बाहर आयी तो उसकी एक झलक भर ने मेरा दिल जीत लिया। लाल रंग के चमकदार लहंगे में शर्माती हुई प्रिया की प्यारी सी मुस्कान जैसे उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रही थी।

तभी मुझे याद आया की “रमा ज्यादा पिघल मत.. जेठानी है तू ” ।

शादी की सारी रस्में कर हम दुल्हन विदा करा कर घर ले आये थे। अपनी शादी के बाद शुरू शुरू में मैं शायद शर्म से या झिझक से सबसे ज्यादा बात नहीं करती थी। पर यहाँ तो माजरा पूरा उल्टा निकला, प्रिया अपने पहले ही दिन रसोई में आयी और सबसे ऐसे बातें करने लगी जैसे घर की बेटी छुट्टियों में हॉस्टल से लौट कर घर वापस आयी हो।

उसका हसमुख चेहरा और चुलबुली बातें सबका मन मोह लेती थी।दिन बितते गए और अब प्रिया भी घर में रम बस गयी थी।

आज प्रिया ने अपने माँ बनने की खुशखबरी सबको दी, जिसपर सबने कुछ ज़्यादा ख़ुशी नहीं जताई, क्यूंकि मैं, शादी के चार साल बाद तक भी माँ नहीं बन पायी थी इसलिए सबको मेरी माँ बनने की ज्यादा चिंता थी।

 

पर प्रिया को सबके बर्ताव का तनिक भी बुरा नहीं लगा उसने मुझे अपनी खुशखबरी सुनाई और कहा की “दीदी ये आपका भी तो बच्चा है, हम मिल कर इसे पालेंगे”। उस दिन प्रिया की वो बात मुझे छू गयी, अब मैंने प्रिया को एक देवरानी नहीं बल्कि एक छोटी बहन बना लिया था।

हमारे घर अब एक नन्हा मेहमान आया, प्रिया को बेटा हुआ था, जिसके साथ मैं खूब खेलती और जिसने सबकी जिंदगी में खुशियों के रंग भर दिए थे। अब मैं रात को ऑफिस से लौट के आती तो अपने छुटकू के साथ खेलती और वहाँ प्रिया थाली में गरम गरम परांठे और आलू गोभी की सब्जी बना कर लाती और कहती “दीदी लीजिये आपका फेवरेट खाना”।

समय बीतता गया और सात साल बाद भगवान की कृपा से मेरी भी गोद भरी, मैं भी माँ बनने वाली थी। आज ऑपेरशन थिएटर के बाहर सास, ससुर जी के साथ प्रिया, विकास भी आने वाली नन्ही ख़ुश का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे।

मुझे बेटी हुई और ये खबर सुनते ही दोनों ख़ुशी से झूम उठे, दोनों ने मिल कर पुरे हॉस्पिटल में चाचा चाची बनने पर मिठाई बाटी।

प्रिया कहने को तो चाची थी पर उसने मेरी बेटी को कभी भी एक माँ से कम प्यार नहीं किया। और यहाँ विकास, जब भी कभी ऑफिस ट्रिप से US जाता तो भले ही प्रिया के लिए कपडे लाना भूल जाता पर अपनी भतीजी के लिए रंग बिरंगी फ्रॉक लाना उसे जरूर याद रहता।

अब हम दोनों के बच्चे भी बड़े हो चुके थे। प्रिया का बेटा 8 साल का और मेरी बेटी 3  साल की हो गयी थी। दोनों बच्चे “tom & jerry” की तरह लड़ते तो अगले ही पल एक दूसरे को प्यार भी करने लगते।

 

और यहाँ प्रिया भी अब देवरानी से छोटी बहन और अब बहन से एक दोस्त बन चुकी थी।

वो कहते है ना देवरानी जेठानी का रिश्ता तब और मजबूत हो जाता है जब दोनों साथ मिल कर चुगली करे, और जिसमें अब हम दोनों भी माहिर हो चले थे। फेसबुक, इंस्टा से किसी की भी फोटो को zoom कर कर के देखना और उसपर टिप्पड़ी करते करते खूब हसना। इस काम में भी अब हम एक्सपर्ट हो गए थे।

यहाँ हम दोनों के पति लोग भी ऑफिस के कामो में बिजी होते तो हम दोनों अपने अपने बच्चो को लिए हर वीकेंड मॉल चल देते।अब चूँकि हम दोनों को ही लिपस्टिक्स का बहुत क्रेज है तो हम मॉल की कोई भी कॉस्मेटिक शॉप नहीं छोड़ते जहां हम लिपस्टिक का शेड  टॉय ना करते।

एक बार हम दोनों सपरिवार घूमने जोधपुर गए, अब हमारी प्रिया थोड़ी स्टाइलिश है तो फाइव स्टार से नीचे किसी होटल में रूकती ही नहीं, सो हम सब ने फाइव स्टार बुक किया।

हारे थके होटल के रेस्टुरेंट में खाने बैठे तो मेनू कार्ड पढ़ प्रिया बोली “दीदी यहाँ तो एक रोटी 200 रुपए की है” ,

मैं उस समय पानी पी रही थी तो पानी गले में ही अटक गया, खासते हुए मैंने बोला, “इस तरह काउंट किया जाये तो हम अपने घर में रोज दिन में 2500  की और महीने में 75000 रुपए की रोटियां बना लेते है”। इतना सुनते ही सब पेट पकड़ कर जो हसे है।

आज प्रिया ने बताया कि विकास को US से एक अच्छा जॉब ऑफर आया है तो वो लोग शिफ्ट होने का सोच रहे हैं। मुझे आज भी याद है वो दिन जब प्रिया को कैब तक छोड़ने आयी थी, उसको गले लगा कर खूब रोई और एक बेटी की तरह ही विदा किया था। आज एक देवरानी नहीं एक दोस्त जो बिछड़ रहा था। अब जब कभी उन बीते दिनों के पन्ने पलटी हूँ तो मन खुश हो जाता है।

 

पिछले एक साल से विकास-प्रिया US में ही हैं और अब तकरीबन रोज़ ही वीडियो कॉल पर हमारी बात हो जाती है। और हाँ आपको बता दूँ कि US जा कर मेरी देवरानी अब और भी ज़्यादा “हॉट एन हैपनिंग” दिखती है|

दोस्तों, देवरानी-जेठानी का रिश्ता सुनने में कड़वा जरूर लगता है, लेकिन अगर हम अपने अहम को हटा कर ये रिश्ता दिल से निभाएंगे तो इस रिश्ते से खूबसूरत कोई रिश्ता नहीं होता| क्यूंकि ये एक ऐसा रिश्ता है जिसमें आपको एक बहन, एक दोस्त और एक साथी सभी का प्यार एक साथ मिलता है।

 

अगर आपको मेरी यह कहानी पसंद आयी हो तो मुझे कमेंट करके ज़रूर बताएं ।

 

Disclaimer: This blog was originally posted on Momspresso.com. This is a personal blog. Any views or opinions represented in this blog are personal and belong solely to the blog owner.

 

About The Author

Rama Dubey

I am a Communication Professional with more than 13 years of rich experience in Public relations, Media management, Marketing and Brand promotion.  Currently working as a Head- communication for an IT firm.

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