दिल्ली के लक्ष्मी नगर की तंग गलियां, सड़को पर गाड़ियों का शोर और चारो तरफ खम्बों पर उलझी तारों के बीच आसमान जैसे ढक ही जाता है। यहीं अजय, अपनी माँ और छोटी बहन के साथ रहता था।
अजय सिर्फ 12 साल का था, जब उसके पिता जी को बिज़नेस में भारी नुकसान हुआ था, जिस कारन उनकी सारी प्रॉपर्टी नीलाम हो गयी और वो लोग सड़क पर आ गए। अजय के पिता जी इस सदमे को सह नहीं पाए और दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो गया।
पिता जी के देहांत के बाद अजय ने अपनी माँ को मुश्किल दिनों में अपनी किस्मत से लड़ता देखा था। किस तरह पास की फैक्ट्री में सिर्फ ३००० रुपए में वो अजय और उसकी छोटी बहन दोनों को प्यार से पालती थी।
आज अजय कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चूका था और अव्वल नंबर से पास होने पर उसे कई बड़ी कंपनियों से जॉब ऑफर भी आएं थे। अजय आज मिठाई ले कर माँ के पास ख़ुशी से दौड़ता हुआ गया :
माँ मुँह खोलो… !!
अरे वाह.. मिठाई !! क्या हुआ बेटा??
माँ आज से तुम्हे काम पर जाने की जरुरत नहीं है। आज से तुम सिर्फ आराम करोगी। मेरी एक बड़ी कंपनी में नौकरी लगी है माँ।
अजय की माँ के आँखों में आज ख़ुशी के आसूं थे।
उन्होंने अजय का माथा चुम कर उसे आशीर्वाद दिया।
खूब तरक्की करो बेटा !!
अगली सुबह माँ अजय की कमरे में अख़बार के पन्ने पलटते हुए पहुंचीं। और ख़ुशी से बोली:
अजय उठ , देख कितना अच्छा रिश्ता ढूंढा है मैंने तेरे लिए…
माँ थोड़ा सोने दो ना… अजय ने तकिये से अपना मुँह ढकते हुए कहा।
अरे एक नज़र तो डाल,
अजय ऑंखें मिसता उठा, और माँ को पीछे से बाँहों में भरते हुए बोला: इतनी जल्दी क्या है मेरी शादी की… पहले कुसुम के लिए लड़का ढूंढो …
माँ ने अजय के कान खींचते हुए कहा:
अरे कुसुम अभी २० बरस की ही हैं .. तू अपनी फ़िक्र कर, अच्छा रिश्ता ढुंढ़ने मे भी कई साल लग जाते है, और ऐसे ही बैठे रहे तो तु बैठे बैठे ही बुढा हो जायेगा फिर कोई अपनी लड़की देने से भी माना कर देगा।
अच्छा तो ये बात है …!! अजय मुस्कुराते हुए बोला।
नहीं बेटा.. अब मन में एक ही आस है की मरने से पहले अपने घर बहु ले आउ, नाती पोते का मुँह देख लूँ फिर चाहे भगवान कभी भी बुला ले।
चुप माँ.. कुछ भी बोलती हो.. अभी तो तुम्हे बहुत जीना है। ठीक है बात कर के बता देना कब मिलना होगा लड़की वालो से, मै ऑफिस से छुट्टी ले लूंगा। अब ज़रा हस दो !!
माँ ये सुन कर ख़ुशी से फूली नहीं समायी।
अख़बार के मैट्रिमोनियल में छपे रिश्तो में से सबसे अच्छा रिश्ता खोज निकला और मिलने की तारीख भी पक्की कर ली।
लड़की का नाम रश्मि था, लड़की सुन्दर और पढ़ी लिखी थी।
आज अजय और रश्मि सपरिवार एक दूसरे से मंदिर में मिलने वाले थे। अजय उसकी माँ और छोटी बहन, मंदिर परिसर में उनका इंतज़ार कर रहे थे, की तभी एक गाड़ी पास आ कर रुकी, उसमे रश्मि के घर वाले ही थे।
पर अजय की निगाहे तो रश्मि को ढूंढ रही थी। तभी उसे रश्मि की एक झलक दिखाई पड़ी। पीले रंग का सूट और खुले बालों में आज रश्मि सुन्दर लग रही थी। अजय को उसकी सादगी भा गयीं। सबसे बातें करते करते अजय रश्मि को एक नज़र छुप कर देख लेता।
तभी घर वालों ने दोनों को अलग बात करने के लिए भेजा।
रश्मि आज थोड़ा घबराई सी लग रही थी , अजय के पूछने पर उसने कोई जवाब नहीं दिया।
बस फिर क्या था, अजय का रिश्ते के लिए हाँ बोलते ही, वहीं पर रोका की रसम पूरी कर दी गयी और दोनों ने एक दूसरे को अंगूठी पहना दी।
रश्मि के पिता जी का अजय की माँ से दहेज़ की बात पूछने पर अजय की माँ ने कहा की “आपको अपनी ख़ुशी से जो भी देना हो अपनी बेटी को दीजियेगा ,हमें अलग से कुछ नहीं चाहिए।
अजय की माँ का इतनी सुनदर और सुशील बहु मिलने पर ख़ुशी का ठिकाना ना था।
दोनों तरफ शादी की तैयारियां शुरू हो गई। और वो दिन भी आ गया।
सफ़ेद घोड़े पर क्रीम रंग की शेरवानी में दूल्हा बना अजय बड़ा जच रहा था। बैंड बाजों की धुन पर सभी रिश्तेदारों और दोस्तों ने खूब रंग जमाया था।
बारात जैसे ही रश्मि के घर पहुंची, वहां सन्नाटा सा पसरा था।
बारात के स्वागत के लिए भी घर के बस दो चार लोग ही थे।
अजय को ये बात कुछ समझ नहीं आयी। थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद अजय ने खुद रश्मि के पिता जी को बात करने के लिए बुलवाया।
रश्मि के पिता जी को आता देख, अजय की माता जी भी वहाँ आ गयीं।
रश्मि के पिता जी ने उनके आगे हाथ जोड़ कर कहा की ये शादी नहीं हो सकती, आप लोग ये बारात वापस ले जाईये।
जब तक अजय कुछ समझ पाता, रश्मि अपने कमरे से तिलमिलाई बाहर आई और जोर जोर से चिल्ला कर बोलने लगी:
मैं इन दहेज के लालची लोगो के यहाँ शादी नहीं करूँगी !
चारो तरफ शोर शराबा होने लगा। बारातियों में एक महिला पत्रकार थी तो उसने ये सब कवर करने की लिए तुरंत ही अपने चैनल से कैमरा मैन को भी बुलवा लिया। कुछ लोगो ने ये सब अपने मोबाइल फोन में रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया।
पर बेटा दहेज की बात किसने की ?? अजय की माँ बोली।
आप तो चुप ही रहिये। मेरे पापा से 12 लाख कैश और गाड़ी की मांग आपने ही की है।
अजय कुछ समझ ही नहीं पा रहा था की ये सब क्या हो रहा है इतने मे पुलिस भी वहाँ आ पहुंची।
आईये इंस्पेक्टर साहब, मैंने ही आपको फोन करके बुलाया है , रश्मि बोली। उसने रो रो कर पुलिस को दहेज़ मांगने के लिए अजय और उसकी माँ पर इलज़ाम लगाए।
सर आप मेरी बात सुनिए…
कुछ ग़लतफ़हमी हुई है…
रश्मि कुछ समझाओ इन लोगो को…अजय रश्मि के आगे गिड़गिड़ाता रहा।
सारी बारात वहां चुप खड़े ये तमाशा देखती रही।
पुलिस अजय और उसकी माँ को दहेज मांगने के इल्जाम में गिरफ्तार करके ले गयी। अजय की बहन ने अजय के कुछ दोस्तों और रिहतेदारो की मदद से उन्हें बाहर निकलवाने का इंतेज़ाम किया।
पूरी रात युहीं बीत गयी।
अजय की माँ इस सदमे से उभर नहीं पायी और अब खामोश सी हो गयी थी। सुबह से ही ये घटना अखबारों और न्यूज़ चैनल की सुर्खियां बना हुआ था। अजय आज समाज की नज़रों में एक मुजरिम बन चुका था।
इस बात को अब कुछ दिन बीत चुके थे।
पर उनके पड़ोसियों में अभी भी इस बात की खुसर पुसुर होती थी। कभी अजय की माँ दुकान जाती तो रास्ते में अब पडोसी खुल कर ताने मारते।
उधर अजय की बहन को भी अब कॉलेज में सब गंदे कमैंट्स करते और छेड़ते तो उसने भी कॉलेज जाना छोड़ दिया था।
यहाँ अजय आज काफी दिनों के बात जब ऑफिस गया तो सबकी नज़रें उसी पर टिकी थी। उसके बॉस ने मीडिया में छप रही खबरों से उनकी कमपनी की रेपुटेशन ख़राब हो रही है, कह कर उससे खुद ही कंपनी से इस्तीफा देने को कहा।
अजय को मजबूरन वो नौकरी छोड़नी पड़ी।
आज शाम अजय अपनी माँ और बहन को लेकर ये शहर छोड़ने की तैयारी कर रहा था।
उसी दिन अजय का एक दोस्त उससे मिलने पंहुचा। उसने अजय को शादी वाली रात की सारी सच्चाई बताई। उसने बताया की रश्मि पहले से ही शादी शुदा थी। उसने अपने प्रेमी से छुप कर चोरी से मंदिर में शादी की थी। चूँकि उसका प्रेमी कोई काम धंधा नहीं करता था और आवारा किस्म का था इसलिए रश्मि की पिता जी को ये शादी मंजूर नहीं थी।
अजय की अच्छी नौकरी और परिवार देख कर उन्होंने तुमसे रश्मि की शादी करानी चाही थी।
शादी की रात रश्मि का प्रेमी मंडप मे आ पहुॅचा और खुद को आग लगाने की बात कही तो मजबूरन रश्मि के पिता को ये रिश्ता स्वीकार करना पड़ा। रश्मि ने अपने पिता जी को तुमसे शादी तोड़ने और अपनी इज़्ज़त बचाने का ये रास्ता सुझाया।ये सब सुन कर अजय हैरान हो गया।
अजय के दोस्त ने उसे रश्मि के घर वालो पर मानहानि का केस करने को भी कहा।
जिसपर अजय बोला, ना तो उसमे अब इतनी हिम्मत बची है और ना ही इतने पैसे की वो केस लड़ने का सोच भी सके।
दोस्त, अब मै अपनी जिंदगी में शांति चाहता हूं। मै केस कर के अपनी माँ को फिर से उन बातों को याद नहीं दिलाना चाहता , इसलिए ये शहर छोड़ के जा रहा हु।
आज अजय अपने परिवार के साथ भोपाल शिफ्ट हो चुका था और अपनी बिखरी ज़िन्दगी को फिर से समेटने की कोशिश में लगा था।
दोस्तों क्या आप जानते है की हमारे देश में दहेज़ के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र एक कानून बनाया गया है। IPC की धारा 498 A (Anti dowry act ) एक ऐसा कानून है जिसके तहत महिला की दहेज़ प्रताड़ना की एक कम्प्लेन मात्र से ही दोषियों की तुरंत गिरफ़्तारी का प्रावधान है।
जहाँ एक तरफ यह कानून हमारी बेटियों और बहनों के लिए वरदान साबित हुआ है, वहीँ दूसरी ओर कई बार इस कानून का गलत उपयोग भी किया जाता है।
इस कानून के दुरूपयोग की बढ़ती घटनाओं के कारण जुलाई 2017 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून में कुछ सुझाव दिये है।
जिसके तहत पुलिस को तुरंत गिरफ्तारी को ले कर अब और सावधानी बरतने और 9 point check list की सारी बातों की पूरी तरह तसल्ली होने पर ही गिरफ़्तारी करने का आदेश है।और जहाँ गिरफ़्तारी की गयी हो वहां गिरफ़्तारी आगे बढ़ाने की लिए मेजिस्ट्रेट की रज़ामंदी का होना अनिवार्य किया गया है।
दोस्तों मैं ये नहीं कहती की दहेज प्रताड़ना के सभी मामले गलत होते है पर कभी कभी इस कानून के दुरूपयोग से बेकसूर लड़के और उसके घरवालों को समाज की अवहेलना झेलनी पड़ती है। जिसका असर उनके वर्तमान और भविष्य दोनो पर ही पड़ता है।
धन्यवाद !
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I am a Communication Professional with more than 13 years of rich experience in Public relations, Media management, Marketing and Brand promotion. Currently working as a Head- communication for an IT firm.
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Rama Dubey
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