क्या.. तुम चाय नहीं पीती ??

“आपको भी यह बात सुन कर हैरानी हुई होगी, पर हाँ मैं ना तो चाय पीती हूं और ना ही कॉफ़ी। अब तक चाय न पीने का कोई मलाल भी नहीं है मुझे, पर रह रह कर लोग मुझे ये एहसास करावा ही देते हैं कि चाय न पीना किसी गुनाह से कम नहीं। पर आप यकीन नहीं करेंगे, चाय नहीं पीने से मेरी जिंदगी में कई रोमांचक घटनाएं भी घटी हैं| चलिए आपसे कुछ किस्से साझा करती हूँ।

बचपन से ही चाय पीने का शौक नहीं था मुझे, पर इसका मतलब यह नहीं कि यह मेरा एक पारिवारिक अवगुण है। मेरा परिवार तो चाय पीने में गिनीज रिकॉर्ड बना सकता है। घर में जितने लोग थे उतने ही वैरायटी की चाय बनती थी। मम्मी को ज्यादा अदरक वाली कड़क, तो पापा को मलाई मार के, भाई को गिलास भर के चाय चाहिए थी तो दीदी को ज्यादा दूध वाली। अब बची मैं, इन सब झमेलों मैं मुझे कोई एक गिलास पानी भी दे दे तो मेरी खुशनसीबी। खैर छोड़िये|

जैसे जैसे मैं बड़ी हुई जिंदगी में चाय की एहमियत जानी।

धीरे धीरे मुझे यह एहसास होने लगा की, दरसल चाय, सागर मंथन से निकला वो अमृत था जिसे पीने के लिए देवों और असुरों में युद्ध हुआ था और तब स्वयं भगवान श्री हरि को मोहिनी रूप धरना पड़ा था। बाद में शायद उसी अमृत का नाम चाय पड़ा होगा|

चलिए अब आगे सुनिए, ऑफिस में साथियों के साथ टी ब्रेक का सुख तो कभी मिला ही नहीं । सुबह सुबह हम सब साथी दुआ सलाम के लिए मेरे केबिन में मिलते थे और तब पियोन भईया को फोन जाता था, ” जयकिशन ज़रा आज अच्छी सी चाय पिला”।

पर क्या आप जानते है की चाय का स्वाद भी लोकेशन पर निर्भर करता है .. अब आप पूछेंगे कैसे ? मैं बताती हूँ…

“अरे जयकिशन कैंटीन की चाय मत लाना, वो बाहर से खोके वाली चाय लाना.. वो पीपल के नीचे वाले खोके से लाना, वो अच्छी बनाता है”।

बर्हाल जयकिशन एक पिन्नी (pinni) में लटका के चाय ले आया और मेरी कानी ऊँगली से भी छोटे कप में डाल दी।  थोड़ी चाय पिन्नी (pinni) में बच गई तो पीछे बैठी मनीषा बोली “मेरा कप भर दे, देख खाली है”|

ये सब देख कर मेरी आँखों की भोयें कभी ऊपर होती कभी नीचे। उन छोटे छोटे कपों की चाय को अमृत का प्याला समझ कर आहा! आहा! करते दोस्तों पर हैरानी काम, हसी ज्यादा आती थी।

अब आगे सुनिए.. चुकीं मैं पेशे से एक पी.आर हूँ तो मीटिंग्स मेरे जॉब का एक अहम् हिस्सा है।

तो जनाब बड़े दिनों बाद एक बड़े अख़बार के एडिटर से मीटिंग फिक्स हुई। फिर क्या था पहुंच गई उनके ऑफिस। बड़े ही सज्जन पुरुष थे

और बिहार से भी थे, तो बस तुम्हारा गांव मेरा गांव करते करते रिश्ता नाता निकल आया।

फिर वही हुआ जिस बात का डर था। उन्होंने फोन उठाया और बोला “ज़रा दो कप चाय लाना”।

अब आगे मत पूछना की मुझ पर कितनी छुरियां चली। ऐसा लगा मानो किसी ने गरम तवे पर मुझे बैठने को कहा हो।

“अरे सर! चाय नहीं”, “आप बिजी होंगे”, “अब मुझे चलना चाहिये”…

“अरे नहीं रमा जी, बैठिये चाय पी के जाइएगा ” अब भाई नौकरी का सवाल था एडिटर को कैसे मना करू।

आ गई चाय!!! जैसे ही चाय की एक सिप ली, ससुरी जीब जल गई!! “उई माँ “!!!

दो चार सिप मारी और भागी। बाहर निकल के पानी पिया तब सुकून मिला।

अब ऑफिस के बाद ससुराल का रुख करते है:

मैं चाय ना पीने के लिए यहाँ भी बदनाम हूँ| मेरी प्यारी सासु माँ सबको हसी ख़ुशी से बताती है की “हमारी बहु ना चाय पीती है और ना पिलाती है”| आप सर खुजलाके सोचते रह जाओगे की आपकी तारीफ की गई है या आप पर व्यंग किया गया है 🙂

खैर, मेरे पति इस मामले में बड़े ही सपोर्टिव हैं। उन्हें  “बेड टी” की आदत है और उन्हें बेड टी बना के देती भी हूँ। पर अगर कभी घर के कामो में उलझ के एक अादा बार चाय बनाना भूल गई तो उसका खामयाजा मुझे बाद में चुकाना पड़ता है. आप पूछेंगे कैसे ? बताती हूँ…

जैसे किसी भी लड़ाई में एक लड़की का ब्रह्मास्त्र होता है उसके आसूं, ठीक वैसे ही किसी दिन चाय का ना मिलना मेरे पति याद रखते है और चार दिन बाद लड़ाई के समयअपना ब्रह्मास्त्र छोड़ते है “और उस दिन, उस दिन तो मुझे चाय भी नहीं मिली “। लड़ाई छोड़ हँसी छूट जाती है मेरी|

अब एक और घटना सुनाती हूँ-

पति देव और मैं, चचेरे ससुर जी के यहाँ किसी काम से गये। सबके सामने चाय रखी गई, मैंने बोला “चाची जी, मैं चाय नहीं पीती” बस फिर क्या था, सवालों की छड़ियाँ लग गई।

“अच्छा बचपन से ही नहीं पीती “, “और सर्दियों में भी नहीं पीती चाय ?”

अंतरात्मा से आवाज आई “क्यों सर्दियों में चाय पीने से क्या सरकार भारत रत्न देती है|”

पर मुँह से निकला “नहीं चाची जी सर्दियों में भी नहीं पीती”।

“अच्छा तो दूध पी लो|”

मन में सोचा “क्या !!! अब मैं भारी भरकम साड़ी पहन के,हीरोइनों वाला मेकअप करके, सर पे पल्लू लिए सबके बीच दूध पियूँगी ??

“अरे नहीं चाची जी, दूध नहीं !!”

ओहो ! खाली क्यों बैठोगी एक काम करो गरम पानी में बोर्नविटा मिला देती हूँ वो पिलो, फायदेमंद भी है और सबको कंपनी भी मिल जाएगी।

“हे भगवान अब बस यही पीना बाकि रह गया था”

अब चाची जी को ज्यादा मना कैसे करू कही बुरा ना मन जाए। तो आप यकीन नहीं करेंगे मैंने उस दिन एक कप गरम पानी में Bornvita मिला कर पीया .. यक !!|

तो दोस्तों अब आगे से अगर आपसे कोई कहे की ” मैं चाय नहीं पीता ” तो कृपया उसे उन निगाओं से ना देखें जैसे वो अभी अभी मंगल गृह से सीधा आपके घर ही लैंड किया हो।

हम चाय ना पीने वाले इंसान भी आप लोगो की तरह ही नोर्मल होते है और हाँ अगर आप मेरे घर आएंगे तो गरमा गरम अदरक और इलायची वाली चाय से ही स्वागत होगा आपका।

तो लीजिये हो गया ना आपका भी चाय पीने का मन|

अगर आपको मेरा ये ब्लॉग पसंद आया हो तो आपको आपके “अदरक वाली चाय की कसम” नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करे 🙂

 

 

Disclaimer: This blog was originally posted on Momspresso.com. This is a personal blog. Any views or opinions represented in this blog are personal and belong solely to the blog owner.

About The Author

Rama Dubey

I am a Communication Professional with more than 13 years of rich experience in Public relations, Media management, Marketing and Brand promotion.  Currently working as a Head- communication for an IT firm.

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