काश, मैं अपनी पत्नी के लिए हमसफ़र ढूंढ पाता!

संडे का दिन, मुंबई की बरसात और रेडियो पर बज रहा गाना “तुम को देखा तो ये ख्याल आया, जिंदगी धुप तुम घना साया”, उतने में पूजा भी पास आ कर बैठ गई।

कहने को तो पूजा और मेरी शादी को अब 3 साल हो गए थे, पर पूजा की आँखों की मासूमियत और चेहरे के भोलेपन का मैं आज भी कायल हूँ। आज भी याद है मुझे अपनी वो पहली मुलाकात, जब तुम्हे देखते ही मुझे तुमसे प्यार हो गया था और मन में एक आस जगी थी कि अब पूरी जिंदगी बस तुम्हारे साथ ही बितानी है। हालाकि बचपन में ही हम दोनों ने अपने अपनों को खो दिया था, पर आज तुम्हारे साथ जिंदगी फिर से गुलजार है। अभी मैं अपने बीते दिनों की किताब के पन्ने पलट ही रहा था कि पूजा पास आयी और सर पर हाथ फेरती हुई बोली “रवि उठो, कहाँ खो गए, नाश्ता तैयार है”।

हमारी शादी के बाद पूजा ने सारे घर की जिम्मेदारियां बखूबी संभल ली थीं। जब कभी ऑफिस से हारा थका लौटता तो पूजा के चेहरे की ख़ुशी देख कर सारी थकान उतर जाती। जिंदगी का सूनापन दूर हो गया था, अब बस एक ही ख्वाहिश थी की पूजा को दुनिया की सारी खुशियाँ दे पाऊँ। पर शायद इन खुशियों की कीमत मेरी आमदनी से काफी ज़्यादा थी।

बस फिर क्या था उसी दिन से नयी नौकरी की तलाश शुरू कर दी, और कुछ ही दिनों में एक बड़ी कंपनी में मेरी नौकरी भी लग गयी।

पूजा ने आज तक कभी भी मुझसे किसी चीज़ की मांग नहीं की थी। मैं कहता की तुम खुश तो हो, तुम्हे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए, तो बस मुस्कुरा कर कह देती “भगवान ने बिन मांगे सब कुछ दे दिया, अब और क्या मांगू”।

कुछ ही दिनों में हमने अपनी एक छोटी गाड़ी भी खरीद ली।

“पूजा तुम देखती जाओ अभी तो बहुत अरमान, बहुत सपने पुरे करने है ।

आज ऑफिस से घर लौटा तो पूजा कुछ उदास लग रही थी।

“सुनिए आपको नहीं लगता हमें अपना परिवार अब बड़ा करना चाहिए, चलिए ना कल डॉक्टर से मिल आते है,” “मुझे तो कई बार बड़ी चिंता होती है की मैं कभी माँ बन भी पाऊँगी की नहीं “।

उस दिन लगा जैसे उसके आंसू मुझे कुछ कह रहे हो, जैसे पूजा अपने बच्चे में अपना बचपन जीना चाहती थी।

“तुम उदास मत हो, हम कल ही चलेंगे “

अगले दिन हम डाक्टर के पास चेकअप की लिए पहुंचे। पूजा की रिपोर्ट्स देख कर डॉक्टर ने हमें आई वी ऍफ़ का सुझाव दिया और कहा की इसमें कम से कम २ – ३ लाख का खर्चा होगा।

ये सब सुन कर पूजा उदास हो गयी, मैंने उसे दिलासा देते हुए कहा की

“तुम अब कमर कस लो, बच्चे की डायपर बदलने की ट्रेनिंग शुरू कर दो।”

“पर इतना पैसा कहाँ से आएगा???”

“अरे तुम चिंता क्यों करती हो मुझे ऑफिस से पुराना और इस बार का इंसेंटिव मिलने वाला है ” इतना सुनते ही पूजा के चेहरे की रौनक जैसे फिर से लौट आई हो।

“अभी मेरी एक और पोलिसी से भी कुछ पैसे मिलने वाले हैं, सोचता हूँ तुम्हे धरती का स्वर्ग घुमा लाऊँ”

“धरती का स्वर्ग “?? ज़रा सोचते हुए पूजा झट से बोली “कश्मीर” !!!

“वहां तो बहुत बर्फ होगी अभी”, “मुझे बर्फ बहुत पसंद है “!!

पल भर में पूजा मानो जैसे एक नन्ही से बच्ची बन गयी हो।  मैं उसे एक टक देखता और मन ही मन सोचता “बस कुछ महीने और दे दो मुझे, इस जहाँ की सारी खुशिया दे दूंगा तुम्हे।

पर शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था।

उस दिन ऑफिस में सर में ज़ोर से दर्द हुआ, आँखों के सामने अँधेरा छा गया और मैं बेहोश हो कर गिर पड़ा।आंख खुली तो मैं हॉस्पिटल में था और पूजा मेरे सामने खड़ी थी। मैं अब ठीक महसूस कर रहा था। पास की टेबल पर रखी अपनी घडी और पर्स उठा कर मैं बिल भरकर घर जाने को खड़ा हुआ।

तभी डॉक्टर बोले आप दोनों मुझसे मेरे केबिन में आ कर मिले।

डॉक्टर ने एक रिपोर्ट दिखते हुए मुझे बताया की मेरे ब्रेन में एक ट्यूमर है और जो  इतना बढ़ चूका है की की उसका इलाज मुमकिन नहीं है।

अब तक यह सब बस फिल्मो में ही देखा था, तो समझ नहीं पा रहा था की कैसे रियेक्ट करू लड़खड़ाती आवाज में मैं बोलै “अरे ऐसे कैसे एक दिन में ट्यूमर हो गया ?” पहले तो कभी कुछ नहीं हुआ था, ना चक्कर ना कुछ ?”

डॉक्टर बोले की कभी कभी इस तरह के ट्यूमर के लक्षण शुरुआत में पता नहीं चलते।

“तो अब हम क्या करे ??” मैंने हैरानी से पुछा|

अब आपके पास ज़्यादा से ज्यादा एक महीना और है., आई एम सॉरी !!!

इस घडी में कैसे रियेक्ट करे हम समझ नहीं पा रहे थे। बाहर कुर्सी पर हम दोनों सर पर हाथ रखे पता नहीं क्या क्या सोच रहे थे।

तभी पूजा बोली “चलिए घर चलते है “।

रस्ते भर यही सोचता रहा की, मेरे बिना पूजा क्या करेगी ? “कितनी भोली और मासूम है”, “इसे तो दुनिया के तौर तरीके भी नहीं पता” अभी तो बहुत सपने पुरे करने थे, मेरे बाद पूजा का कोई भी नहीं है।

इतने में पूजा खाना ले आई  “आप खाना खा कर आराम कीजिये, भगवान सब ठीक करेंगे,।

“हाँ भगवान क्या चाहते है ये तो देख ही लिया। कभी किसी का बुरा सोचा तक नहीं, फिर मैं ही क्यों???

बचपन में माँ बाप का साया सर से उठ गया तब भी कोई शिकायत नहीं की भगवान से। अब ज़रा सी खुशियों ने दस्तक दी, तो वो भी छीन ली”।

कहते कहते आँखों से आंसू ना रोक पाया। समझ नहीं पा रहा था की पूजा को दिलासा दूँ या खुद को।

रात भर इसी सोच में गुजार दी की अभी पूजा की उम्र ही क्या है, महज 26 साल, अभी तो पूरी जिंदगी पड़ी है, किसी जीवन साथी की जरुरत तो पड़ेगी।

अगले दिन सुबह घर में सारे डाक्यूमेंट्स और पेपर्स फैले पड़े थे, पूजा उठी और हैरान होकर बोली “आज आप जल्दी उठ गए? और ये सब क्या है ?

मैंने पूजा को अपने पास बिठाया और सब समझाने लगा,

” देखो ये बैंक की “ऍफ़ डी” के पेपर है,

तुम्हारे गहने इस बैंक के लॉकर में हैं, उस लॉकर की चाबी ये है,

ये पालिसी के पेपर हैं, इस पालिसी के पैसों की ऍफ़ डी करवा देना,

मैं तुम्हे गैस का सिलिंडर खोलना सीखा देता हूँ, तुम्हे नहीं आता ना,

इंटरनेट और टीवी चार्ज के लिए फोन का इस्तेमाल करना,

पता नहीं मुझे ऐसा लग रहा था मानो वक़्त रेत की तरह फिसल रहा था और पूजा को जल्दी से जल्दी सक्षम बनाना था।

पूजा मुझे एकटक देख रही थी, मेरी नज़र उस पर पड़ी तो वो मुझे गले लगा कर रो पड़ी “मत जाओ ना” उसके अंदर का दर्द आज बाहर आ गया था। मैंने उसे रोने से नहीं रोका, सोचा रो लेगी तो हल्का महसूस करेगी। तभी मौका देख कर मैंने पूजा से बोला “पूजा मेरे बाद तुम दूसरी शादी कर लेना”।

पूजा हँसते हुए बोली “क्यों अपनी बला दूसरे के सर डालना चाहते हो? अभी एक महीना है हमारे पास, मैं हमारी यादों के सहारे अपनी सारी जिंदगी काट लूंगी।

आज हॉस्पिटल के बेड पर पड़ा मैं अपनी जीवन की आखिरी सांसे गिन रहा हूँ और मौत के डर से ज्यादा, पूजा को अकेले छोड़ कर जाने का डर मुझे सता रहा है। रह रह कर एक ही ख्याल मन में आ रहा है कि “काश मैं अपनी पत्नी के लिए एक जीवनसाथी ढूंढ पाता|”

दोस्तो, बॉलीवुड कि शान इरफान खान द्वारा कहीं कुछ पंक्तियां याद आ गई कि ज़िन्दगी एक ट्रेन के सफर की तरह है। रास्ते में कई स्टेशन आते हैं। हम अपनी आँखों में कई सपने संजोये और दिल में कई अरमान लिए अपनी मंजिल की आस में बैठे होते हैं, इस उम्मीद में कि यह ट्रेन हमें हमारी मंजिल तक पहुचायेगी। पर आपको पता ही नहीं चलेगा कि कब किस स्टेशन पर टीसी आपको कह देगा कि अब आपका सफर यहीं पूरा हुआ। आपको यहीं उतरना पड़ेगा और ऐसे मैं आप कुछ भी नहीं कर पाएंगे।

इसलिए दोस्तों, जब तक जिंदगी है, हँसी ख़ुशी से किसी से कोई गिला शिकवा किये बिना अपनी ज़िन्दगी खुल के जियो| किसी से कोई मलाल मत रखो, क्या पता आपका सफर कहाँ तक का हो।

अगर आपको मेरा यह ब्लॉग पसंद आया हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिख कर बताएं.

 

Disclaimer: This blog was originally posted on Momspresso.com. This is a personal blog. Any views or opinions represented in this blog are personal and belong solely to the blog owner.

About The Author

Rama Dubey

I am a Communication Professional with more than 13 years of rich experience in Public relations, Media management, Marketing and Brand promotion.  Currently working as a Head- communication for an IT firm.

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